Lucknow एमिटी यूनिवर्सिटी में Law Student पर डेढ़ मिनट में 26 थप्पड़! कैंपस में हड़कंप, Video Viral
लखनऊ एमिटी यूनिवर्सिटी में सेकेंड ईयर लॉ स्टूडेंट शिखर पर डेढ़ मिनट में 26 थप्पड़ जड़े गए। छात्र को कार में बैठाकर दो क्लासमेट्स ने जमकर पीटा, गालियां दीं और धमकाया। यह Brutal Video अब सोशल मीडिया पर Viral हो चुका है। पीड़ित और परिवार सदमे में हैं, वहीं यूनिवर्सिटी और पुलिस से तुरंत कार्रवाई की मांग की जा रही है।
स्वर्ण खबर डेस्क
9/5/2025


लखनऊ एमिटी यूनिवर्सिटी के कैंपस में एक shocking घटना ने सभी को हिला कर रख दिया है। विश्वविद्यालय की पार्किंग में एक सेकेंड ईयर लॉ स्टूडेंट शिखर पर उसके दो ही क्लासमेट्स ने सिर्फ डेढ़ मिनट में 26 से 30 थप्पड़ जड़े, जबकि आसपास मौजूद अन्य स्टूडेंट्स खामोशी से सब देखते रहे।
घटना की शुरुआत तब हुई जब शिखर अपने एक दोस्त के साथ कैंपस में थे। उनके बैच के कुछ स्टूडेंट्स गाड़ी में आकर उनके पास बैठे और अचानक से हमला कर दिया। इस दौरान, एक लड़की और एक लड़के, जिनमें से लड़के का नाम आयुष यादव बताया जा रहा है, ने लगातार गालियां देते हुए शिखर को पीटा। पीड़ित के अनुसार, उसे मां-बेटी की गंदी गालियां भी दी गईं और उसका फोन तोड़कर सभी चैट्स डिलीट कर दी गईं।
शिखर ने बताया कि 11 जून को उनके घुटने और लिगामेंट का ऑपरेशन हुआ था। इसके चलते वे करीब दो महीने यूनिवर्सिटी नहीं जा पाए थे। 8 अगस्त से कॉलेज लौटने के बाद यह हमला हुआ। घटना का वीडियो भी बनाया गया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया है, जिससे पीड़ित छात्र और उसके परिवार का सदमा बढ़ गया है।
शिखर के पिता, मुकेश केसरवानी का कहना है कि उनका बेटा अब डिप्रेशन में है और उसका व्यवहार पूरी तरह बदल गया है। "महज डेढ़ मिनट में 26-30 थप्पड़ मेरे बेटे को मारे गए। यह पूरी तरह से प्लानिंग के तहत किया गया टॉर्चर है। अगर इनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो ये किसी और के साथ भी ऐसा कर सकते हैं।"
पिता ने बताया कि उन्होंने यूनिवर्सिटी और पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में आयुष यादव, जाह्नवी मिश्रा, मिलाय बनर्जी, विवेक सिंह और आर्यमन शुक्ला के नाम शामिल हैं।
एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने इस घटना को लेकर बयान जारी किया है, लेकिन अब भी कार्रवाई की मांग तेज हो रही है। छात्र समुदाय और परिवार दोनों चाहते हैं कि अपराधियों को तुरंत सजा मिले ताकि किसी और की सुरक्षा खतरे में न पड़े।
शिखर की यह दर्दनाक कहानी सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं, बल्कि कैंपस में बढ़ती हिंसा और सुरक्षा के सवालों को भी उजागर करती है।